शनिवार, जुलाई 17, 2010

कोमिक्स साहित्य

बचपन में बेताल की कोम्किस पढ़ना मुझे वहुत अच्छा लगता था. तब इंद्रजाल कोमिक्स के नाम से यह पत्रिकाएँ आती थीं. कुछ साल बाद जब अंग्रेज़ी बोलने समझने की क्षमता बढ़ी तो आर्ची, जगहेड, सुपरमैन, स्पाईडरमैन जैसी कोमिक्स कुछ दिन पढ़ीं पर उनमें मेरी कोई विषेश दिलचस्पी नहीं बनी, और धीरे धीरे मेरा कोमिक्स पढ़ना बंद हो गया. तब लगता कि इस तरह की कोमिक्स की किताबें या पत्रिकाएँ केवल बच्चों के पढ़ने के लिए होती हैं.

इटली में आये तो पहले जापानी चित्रकथाओं से परिचय हुआ, जब मेरा बेटा इनका दीवाना था. उस समय जापानी कामिक्स "मैंगा" (Manga) और जापानी कार्टून फिल्मों "एनीम" (Anime) से परिचय हुआ. बहुत साल के बाद अमर चित्र कथा का नाम सुनाई देने लगा, जिसमें पंचतंत्र, रामायण और महाभारत की कहानियाँ प्रस्तुत की जाती थीं. उस समय विदेशों में इनका प्रसार करते समय कहा जाता कि वे भारत से दूर पैदा हुए भारतीय मूल के बच्चों को भारत की संस्कृति के बारे में बताने का यह अच्छा तरीका है, कि चित्रकथाओं के माध्यम से बच्चे धर्म, परम्पराओं के बारे में भी जानेंगे और साथ ही हिंदी का अभ्यास भी हो जायेगा.

तभी यह बात भी मन में आयी कि शायद इन्हें कामिक्स कहना ठीक नहीं था, क्योंकि कामिक्स का अर्थ है "हँसी मज़ाक", जबकि इनमें तो रहस्य, रोमांच से ले कर प्रेम कथा तक विभिन्न तरह की पत्रिकाए मिलती हैं. इसी तरह से कार्टून शब्द का अर्थ शुरु में तो शायद हाथ से बनी आकृतियों से जुड़ा था लेकिन आज यह भी "हँसी मज़ाक" या "व्यंग" से जुड़ा है, जबकि इस तरह की फ़िल्मों में खेल कूद, प्रेम कथा, एक्शन, सभी कुछ होता है. ओस्कर पुरस्कार पाने वाली फ़िल्म "डांस विद बशीर" (Dance with Bashir), जिसमें फिलिस्तीनियों के शरणार्थी कैंम्प में नरसंहार की कहानी है, या फ़िर ईरानी लेखिका मरजान की "पेरसोपोलिस" (Persepolis), उन्हें कार्टून फ़िल्म कहना अज़ीब सा लगता है, और "एनिमेटिड फ़िल्म" (animated film) कहना अधिक ठीक लगता है, "एनिमेटिड" यानि यानि "कत्रिम जान डाले हुए पात्र".

जैसे जैसे इस दुनिया से अधिक जानकारी हुई, तो अपनी इस सोच को बदलना पड़ा पड़ा कि इस तरह की चित्रकथाएँ केवल बच्चों के लिए होती हैं. बल्कि कुछ चित्रकथाएँ तो केवल व्यस्कों के लिए बनायी जाती हैं. जिन्होंने इंटरनेट पर "सविता भाभी" की चित्रकथाएँ देखी हैं वह यह जानते हैं कि इस तरह की सेक्स से जुड़ी चित्रकथाएँ हिंदी में भी उपलब्ध हैं. मुझे नहीं मालूम कि हिंदी में सेक्स की बात न भी की जाये, तो क्या बड़े लोगों के लिए विषेश रूप से कहानियाँ या किताबें बनती हैं? शायद "ग्राफ़िक उपन्यास" के रूप में बनती हैं? यह तो भारत में रहने वाला कोई जागरूक पाठक ही बता सकता है.

हमारे शहर बोलोनिया में हर वर्ष बिलबोलबुल नाम से चित्रकथा लिखने, बनाने वालों की प्रदर्शनी और ट्रेडफेयर लगते हैं जो यूरोप में इस तरह का सबसे बड़ा मेला है. पिछले वर्ष, इस प्रदर्शनी में बहुत से अफ़्रीकी कलाकार और लेखक आये थे. युद्ध में बच्चों को सैनिक बनाने से ले कर औरतों पर होने वाले अत्याचारों की बातें थीं, विषयों की विविधता थी. कला की दृष्टि से, ग्रफ़िक्स की दृष्टि से, विषय और लेखन की दृष्टि से, हर तरह से लगा कि यह सचमुच साहित्य की विधा है, इसे केवल बच्चों की कहानियाँ सोचना ठीक नहीं. (नीचे की तस्वीर में शराब के नशे में हिंसा और बलात्कार की बात करने वाली एक अफ्रीकी चित्रकथा)

Fumetti africani - Bilbulbol Bologna 2007

इटली में सभी पुस्कालयों और किताबों की दुकानों में चित्रकथाओं की किताबों का अलग से हिस्सा होता है. इतालवी भाषा में इन्हें फूमेत्तो कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, छोटा सा धूँए का बादल और इस शब्द का मूल उन बादल जैसे बुलबुलों में है जिनमें इन किताबों के पात्रों की बातें लिखी होती हैं. फूमेत्तो के कलाकारों और लेखकों को इतालवी साहित्य जगत में बहुत मान मिलता है, शायद इसलिए भी कि इन किताबों की बिक्री बहुत है और इन्हें लिखने बनाने वालों को पैसा अच्छा मिलता है. इन पर फ़िल्में भी बनती हैं. कुछ लोग अपनी किताबों की कहानी भी लिखते हैं और वही उनके साथ के चित्र भी बनाते हैं, लेकिन अधिकतर, लेखक और चित्र बनाने वाले लोग भिन्न होते हैं.

चित्रकथाओं की दुनिया में जापान का स्थान सबसे आगे है, जहाँ पर मैंगा और एनीम के दीवानों की संख्या लाखों में है, और जहाँ लिखी छपी किताबें विभिन्न भाषाओं में अनुवादित होती हैं, हालाँकि मुझे नहीं मालूम कि यह किताबें हिंदी में भी उपलब्ध हैं या नहीं. मैंगा बनाने और लिखने वाली एक सुप्रसिद्ध जापानी लेखिका कलाकार यहीं बोलोनिया में रहती हैं जिनका नाम है केईको इछिगूचि (Keiko Ichiguchi) जिनसे एक बार मिलने का मौखा मिला था.

जापानी चित्रकाथाओं से एक अन्य नया खेल ने जन्म लिया है जिसका नाम है कोसूपूरे (Kosupure) या कोज़प्ले (Cosplay) जिसमें नवयुवक और नवयुवतियाँ प्रसिद्ध चित्रकाथाओं तथा वीदियोंगेम के पात्रों जैसे वस्त्र पहनते हैं, मेकअप करते हैं जैसे कि आप नीचे की तस्वीर में देख सकते हैं. कोज़प्ले के दीवाने प्रतियोगिताओं का आयाजोन करते हैं, अपने मनचाहे पात्रों जैसा बनने के लिए पैसा और समय दोनो ही लगाते हैं.

Cosplay dresses
(यह तस्वीर feer.wsj.com से)

अगर आप को मौका मिले अपने मनपसंद कोमिक हीरो या हीरोईन के भेस बनाने का, तो आप क्या बनना चाहेंगे? अमरीकी कोमिक वाले सुपरमैन या वंडरवूमन? अमर चित्रकथा से राम या कृष्ण? किसी जापानी मैंगा पर आधारित पात्र? मुझे स्वयं जापानी मैंगा की तरह रंगबिरंगे बालों वाला हीरो बनना अच्छा लगेगा, लेकिन शीशे में अपने शरीर का आकार देखूँ तो लगता है कि सूमों की कुश्ती वाला रोल ही मेरे लिए ठीक रहेगा

2 टिप्‍पणियां:

  1. कामिक्स के ऊपर पूरा शोध होता है, छापने के पहले।

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  2. बहुत सुन्दर जानकारी बचपना और चाचा चौधरी दोनों याद आ गए

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