बुधवार, अगस्त 09, 2006

अंतरजाल पर वीडियो

हमारी हाऊसिंग कोलोनी में कई साल से बहस चल रही है कि छत पर तश्तरी वाला एंटेना लगाया जाये या नहीं. फैसला तो यही हुआ था कि हर घर अपनी तश्तरी अलग से न लगाये क्योंकि देखने में अच्छी नहीं लगती, बल्कि छत पर एक बड़ी तश्तरी सभी घरों के लिए लगे, पर चूँकि उसकी बहस ही पिछले दो सालों से खत्म नहीं हो रही, कुछ इक्का दुक्का लोगों ने अपनी बालकनी पर छोटी तश्तरियाँ लगवा ली हैं और कहते हैं कि जब बड़ी तश्तरी लगेगी, वे अपनी छोटी तश्तरियाँ उतरवा देंगे.

यहाँ केबल से टीवी चैनल दिखाने का प्रचलन नहीं है क्योंकि अधिकतर लोग केवल इतालवी भाषा बोलते हैं और घर के टेलीविज़न पर साधारण एंटेना से दस पंद्रह चैनल इतालवी में आती हैं जो अधिकतर लोगों के लिए बहुत हैं. तश्तरी का एंटेना सिर्फ वह लोग चाहते हैं जो फुटबाल के मैच देखना चाहते हैं क्योकि अच्छे वाले मैच साधारण टीवी चैनल पर नहीं प्रसारित होते, या फ़िर प्रवासी जो अन्य भाषाओं में प्रोग्राम देखना चाहते हैं.

क्योंकि इटली में भारतीय बहुत कम हैं इसलिए यहाँ भारतीय चैनल देखना उतना आसान नहीं. अगर आप के पास अपनी तश्तरी वाला एंटेना है तो सोनी या ज़ी में से एक चुन कर उसके लिए डिकोडर खरीद कर उनके कार्ड खरीद सकते हैं, और एक साल के कार्ड की कीमत है 200 यूरो. सुना है कि अगर आप के पास 1.80 मीटर वाला तश्तरी का एंटेना हो तो मध्य‍पूर्व में प्रसारित होने वाली सभी भारतीय चैनलों को एक कार्ड से देख सकते हैं जिसकी वार्षिक कीमत है 500 यूरो.

अपने यहाँ तश्तरी न होने की वजह से जो भी भारतीय टेलीविज़न हो वह फिलहाल तो केवल अंतरजाल से ही देखा जा सकता है. आजकल हमारा तीव्रगति वाला अंतरजाल का कनेक्शन 20 मेगाबाईट का है जिससे अंतरजाल पर आनेवाले टीवी बहुत अच्छे आते हैं, लगता है डीवीडी देख रहे हों. दिक्कत केवल यह थी कि अंतरजाल पर वीडियो प्रसारित करने में भारत कुछ पीछे है. दूरदर्शन का अंतरजाल पृष्ठ केवल समाचार देखने की सुविधा देता है, पर उसकी बैंडवेव इतनी संकरी है कि अधिकतर समय उससे जुड़ नहीं पाते, किस्मत से जुड़ भी जाईये तो छोटी सी ४५ केबीएस का प्रसारण है जिसकी छोटी सी तस्वीर, कभी आती है कभी नहीं.

सरकारी टेलीविज़न का तो बुरा हाल है पर कुछ दिनों से आबीएन-सीएनएन के समाचार प्रसारित होने लगे हैं जिन्हें देखना अपेक्षाकृत आसान है और प्रसारण भी बहुत बेहतर है. यह सच है कि अंतरजाल पर प्रसारित होने वाली चीन और ब्राज़ील की सत्तर अस्सी चेनल के सामने यह कुछ कम है पर कम से कम शुरुआत तो है.

वीडियो को तो छोड़िये, भारत आउडियो में भी बहुत पीछे है. इटली, ब्रिटेन जैसे देशों में आज करीब करीब हर रेडियो अंतरजाल पर भी आता है, चीन और ब्राज़ील जैसे देश भी इस बात में आज यूरोप या अमरीका से पीछे नहीं. पर भारतीय रेडियो सुनने हों तो केवल लंदन, दुबाई या अमरीका से प्रसारित होने वाले भारतीय रेडियो सुन सकते हैं. भारत का राष्ट्रीय रेडियो पिछले चार पाँच सालों से लाईव प्रसारण नहीं कर रहा, बटन दबाईये तो संदेश मिलता है कि अभी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है.

ऐसे में मुम्बई का हिंदी सिनेमा जगत कुछ आशा दे रहा है. स्मेशहिट्स, वाहइंडिया, सिफ़ी मेक्स, बीडब्बलयू सिनेमा, इरोस इंटरनेशनल जैसे अंतरजाल पृष्ठ आप को मुफ्त में या फ़िर, केवल दो या तीन डालर में वीडियोक्लिप या पूरी फ़िल्म देखने की सुविधा देते हैं. शायद एक दिन ऐसा भी आयेगा जब भारत में मिलनेवाले सारे चैनल अंतरजाल से कोई कहीं भी ले पायेगा, तब न तश्तरी लगवाने की चिंता करनी होगी, न डिकोडर और कार्ड बनवाने की.

6 टिप्‍पणियां:

  1. ........आजकल हमारा तीव्रगति वाला अंतरजाल का कनेक्शन 20 मेगाबाईट का है .......

    वाह! क्या बात है! आपकी तकदीर से रश्क हो रहा है. रतलाम में अधिकतम गति 256 किबा है और वह भी कभी भी 30-40 किबा से ज्यादा हरगिज नहीं चलता!

    उम्मीद है आगे दिन सुधरेंगे - इंटरनेट पर भारतीय रेडियो और टेलिविजन जैसे!

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  2. kuchh had tak achcha hi hai ki indian tv dekhna mushkil hai! kam se kam aap saas bahu se to bache huve hain!

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  3. कनैक्शन तो हमारे यहाँ भी बहुत शानदार है।
    आफिस मे 100MBPS का और घर पर 256KB वाला, लेकिन इन्टरनैट पर वीडियो बहुत ही कम देखते है।

    सुनील भाई,
    आप Hotbird 5 वाली डिश लगवा लो,छोटी डिश लगेगी,काफ़ी चैनल काम के मिल जायेंगे। या फिर पैसे ही खर्च करने है तो SKY की सर्विस ले लो। और अगर रेडियो सुनना है तो वर्ल्डस्पेस है ना

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  4. भारत में क्योंकि इंटर्नेट की गति अच्छी नहीं है इसी लिये इटरनेट पर टीवी चैनल नहीं मिलते।
    डिश टीवी के बाद अब टाटा का डीटीएच शुरू हो रहा है, उम्मीद है कि यहां भारत में केबल के घटिया प्र्सारण से छुटकारा मिलेगा

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  5. मेरा कनेक्शन भी ५६ एम बी है, सच में भारत को अभी इस दिशा में बहुत बहुत बहुत काम करना है। सुनील जी, उस दिन का मुझे भी इंतजार रहेगा।

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  6. First radio thanks to Jitu and now TV thanks to you. I can only contribute about desitorrents he he he.

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"जो न कह सके" पर आने के लिए एवं आप की टिप्पणी के लिए धन्यवाद.

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