रविवार, जुलाई 31, 2005

भूले हुए शहर

आज शाम को रिजु वापस जर्मनी चला जायेगा. आज सुबह, अगर वह जल्दी उठ जाये तो उसे बोलोनिया के पुराने बंदरगाह को दिखाने का वायदा किया है. समुद्र तट से १०० किलोमीटर दूर बोलोनिया में बंदरगाह भी होगा, कोई सोचता नहीं है.

बोलोनिया की नगर पालिका शहर के इतिहास के बारे में यहाँ के नागरिकों को बताने के लिए अक्सर "रिस्कोपरीरे बोलोनिया" यानि "बोलोनिया को फ़िर से जानिये" नाम से शहर के साईकल टूर की योजना करती है. जो लोग इसमे भाग लेना चाहें वे अपनी साइकल ले कर सुबह शहर के किसी भाग में मिलते हैं और शहर के बड़े बूढे इतिहासकारों की मदद से अपने शहर के इतिहास की छोटी बड़ी घटनाओं के बारे में जान पाते हैं.

ऐसे ही एक टूर में मैंने जाना कि बोलोनिया कभी नहरों के जाल से भरा शहर था. इन्हीं नहरों से आयी थी बोलोनिया की समृद्धी जब करीब चार सौ साल पहले बोलोनिया का सिल्क सारे विश्व में मशहूर था. तब शहर के बीचों बीच एक नहर पर बंदरगाह था जहाँ जहाज़ आते थे और यहाँ से सिल्क ले कर सारे संसार में जाते थे. फ़िर धीरे धीरे समय के बदलने के साथ इन नहरों और बंदरगाह की भूमिका बदलती गयी, उनका उपयोग कम होता गया और उन नहरों के ऊपर सड़कें बनती गयीं. आज बहुत से लोग नहीं जानते कि शहर के नीचे एक भूला हुआ शहर है, नहरों का शहर. बस कोई कोई जगह ही बची है जहाँ उस पुराने शहर के हिस्से दिख सकते हैं, पर वे भी इतनी आसानी से नहीं दिखते. पुरानी गलियों के पीछे, झाड़ झँखाड़ से ढके, इस अतीत को देखने के लिए, रास्ता ढूँढना आसान नहीं है.

जाने और कितने भूले हुए शहर होंगे, पुरानी दिल्ली की गलियों के पीछे, मुम्बई और बंगलौर के नये गगनचुम्बी भवनों के पीछे ?

बोलोनिया अपनी सहनशीलता और खुले विचारों के लिए भी प्रसिद्ध है, पर विभिन्न देशों से आये भिन्न सभ्यताओं के लोगों के विचारों की वजह से क्या यह सब बदल जायेगा ? इसके बात के दो उदाहरण. पहला यह कि यहीं पर खुला था इटली का सबसे पहला गै और लेसबियन सेंटर, यानि समलैंगिक जीवन के बारे में खुल कर बात करने का स्थान. पुरानी बंदरगाह के "सालारा" यानि नमक के गोदाम के प्राचीन और भव्य भवन में बना यह सेंटर अपने रेस्टोरेंट तथा डिस्को के लिए बहुत मशहूर है. दूसरा उदाहरण है कि शहर के बीच में लगी है नेपच्यून देवता की नंगी मूर्ती. सोलहवीं शताब्दी में बनी इस मूर्ती के बारे में कहा गया था कि यह अश्लील है और इसे शहर के बीच में नहीं लगा सकते और लोगों की राय माँगी गयी. लोगों ने कहा कि मूर्ती शहर के बीच में ही लगनी चाहिये. फ़िर भी शीलता अश्लीलता के बारे में चिंतित कुछ लोगों ने कहा कि मूर्ती के "अश्लील" भागों को ढक देना चाहिये, क्योंकि "यह बच्चों और औरतों के लिए ठीक नहीं है". पर जब बोलोनिया के लोगों की राय माँगी गयी तो उन्होंने मूर्ती के किसी भी भाग को ढकने से इन्कार कर दिया.


कुछ समय पहले एक बंगलादेशी माँस बेचने की दुकान वाले ने माँग की थी कि उनकी साथ की दुकान, जहाँ जाँघिये, तैरने के कपड़े इत्यादि मिलते हैं, से कहा जाये कि ऐसे भद्दे वस्त्र वे दुकान की शोविन्डो में न रखें. उनका कहना है कि ऐसे कपड़े बेशर्मी की निशानी हैं और उन्हें देख कर माँस की दुकान पर आने वाले ग्राहकों को परेशानी होती है. जब इन साहब का टेलीविज़न पर साक्षात्कार लिया गया तो वह समझ नहीं पा रहे थे कि उनकी माँग पर इतना हल्ला क्यों हो रहा है. बोले, "ऐसे कम कपड़े पहनना क्या स्त्रियों को शोभा देता है ?"

आज की दो तस्वीरे बोलोनिया के जीवन पर गै प्राइड के जलूस की एक झाँकी और सड़क के संगीतकार.

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया लिखा है। गे तस्वीरों के साथ वह तस्वीर भी दिख सके,जिसे हटाने की बात को लेकर हल्ला मचा था,तो अच्छा लगेगा।

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  2. आप की बात बिल्कुल ठीक है. लिखने के बाद सोचा कि इसके साथ तो नेपच्यून की मूर्ती की तस्वीर होनी चाहिये थी. कल रात को वहाँ से गुज़रते समय एक फोटो ली भी पर अंधेरे में कुछ अच्छी नहीं आयी. अगले कुछ दिनों में अवश्य इस मूर्ती को देखने का मौका मिलेगा. सुनील

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  3. log aur unki manyatayen.. bombay ke gujarati ilakon mein meat-machhli bechne waale ka bura haal hai. bombay ke log, jo ki ek fishing community rahe hain, ab jain vyapariyon ki kattarta ke shikar ho rahe hain. mujhe 'pure vegetarian' sign se sakht nafrat hai, yahaan tak ki ajkal toothpast par bhi 100% pure veg likh ke aa raha hai.

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