पहली बार जब इटली आया था तो विचेंज़ा जाने के लिए वेनिस हवाई अड्डे पर उतरा था. पहली बार मुझे वेनिस घुमाने ले गये मेरे प्रोफेसर रित्सी. तब से अब तक जाने कितनी बार जा चुका हूँ वेनिस घूमने. कभी बारिश में, कभी तेज सर्दी और बर्फ में, और कई बार जुलाई की गर्मी में. बिबयोने से गर्मी की छुट्टियों के बाद घर वापस आते समय अक्सर रास्ते में एक चक्कर वेनिस का लग ही जाता है. और जब कोई मित्र या परिवार का सदस्य बाहर से आये तो उसे वेनिस घुमाना भी आवश्यक है.
निराला, अनोखा शहर है वेनिस. जितनी भी बार देखो, हर बार वैसा ही, अविश्वास्नीय सा. सबसे अधिक अच्छा लगता है मुझे वेनिस की छुपी हुई गलियों में जाना जहाँ आम लोग रहते हैं.
विषेश यादों में वह रात है जब मेरी रेलगाड़ी छूट गयी थी और रात भर रेलवे स्टेश्न के सामने सीड़ियों पर बितायी थी या जब ज्यूदेक्का द्वीप पर माधवी मुदग्ल का ओड़िसी नृत्य देखा था या जब रात को १२ बजे, मेरी क्रिस्टीन के साथ पियात्सा सन मारको में बेले नृत्य देखा था.
कल रिजु के साथ वेनिस फिर लौटा. प्रस्तुत हैं इस बार की वेनिस यात्रा की दो तस्वीरें
शुक्रवार, जुलाई 29, 2005
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